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एनिमल फार्म / जॉर्ज ऑर्वेल / 7

7

कड़ाके की सर्दियाँ पड़ीं। तूफानी मौसम अपने साथ ओले और हिमपात ले कर आया। उसके बाद जो कड़ा पाला पड़ा, वह फरवरी तक बना रहा। पशु पवनचक्की को फिर से बनाने में अपनी तरफ से जी जान से जुटे रहे। उन्हें अच्छी तरह पता था कि बाहरी दुनिया की आँखें उन पर लगी हुई हैं और अगर चक्की वक्त पर पूरी न हुई तो डाह से भरे लोग खुशियों के मारे झूम उठेंगे।

जलन के मारे, आदमी-लोगों ने जतलाया कि उन्हें विश्वास नहीं है कि स्नोबॉल ने पवनचक्की को नष्ट किया है। उनका कहना था कि यह तो दीवारें इतनी पतली होने के कारण भरभरा कर गिर पड़ीं। पशु जानते थे कि ऐसा नहीं है, इसके बावजूद यह तय किया गया कि पहले की अठारह इंच मोटी दीवारों की तुलना में इस बार दीवारों की मोटाई तीन फुट रखी जाए, जिसका मतलब था पत्थरों को और अधिक मात्रा में इकट्ठा करना। अरसे तक खदान बर्फ की परतों से भरी रही और कुछ भी नहीं किया जा सका। उसके बाद आए सूखे पालेवाले मौसम में थोड़ी-बहुत तरक्की हुई, लेकिन यह बहुत ही निर्मम काम था, और पशु इसको ले कर पहले की तरह खुद को उतना आश्वस्त नहीं पा रहे थे। उन्हें हमेशा जाड़ा लगता रहता और वे अक्सर भूखे भी होते। सिर्फ बॉक्सर और क्लोवर ने कभी हिम्मत नहीं हारी। स्क्वीलर काम के सुख और श्रम की गरिमा के बारे में शानदार भाषणबाजी करता, लेकिन दूसरे पशु बॉक्सर की ताकत और उसकी कभी न थकनेवाली, 'मैं और अधिक परिश्रम करूँगा' की पुकार से ज्यादा प्रेरणा पाते।

जनवरी में अनाज की तंगी हो गई। मकई के राशन में कड़ी कमी कर दी गई। यह घोषणा की गई कि इसके बदले आलू की अतिरिक्त खुराक दी जाएगी। तब यह पाया गया कि आलू की फसल का बहुत बड़ा हिस्सा, अच्छी तरह से ढक कर न रखने के कारण, ढेरियों में ही पाले की वजह से सड़ गया है। आलू एकदम नरम और बदरंग हो गए थे। बहुत कम ही आलू खाने लायक रह गए थे। लगातार कई-कई दिन तक पशुओं को चोकर और चुंकदर के अलावा खाने को कुछ भी नहीं मिला। भुखमरी के लक्षण उनके चेहरों पर नजर आने लगे थे।

इस खबर को बाहरी दुनिया से छुपाए रखना निहायत जरूरी हो गया। पवनचक्की के ढहने से निडर हो कर आदमी लोग बाड़े के बारे में अब नए-नए झूठ गढ़ रहे थे। एक बार फिर यह खबर प्रचारित की जा रही थी कि सभी पशु भुखमरी और बीमारियों से जूझ रहे हैं और वे लगातार आपस में लड़ रहे हैं। वे एक-दूसरे को मार कर खा रहे हैं। बाल-हत्याएँ कर रहे हैं। नेपोलियन अच्छी तरह जानता था कि अगर खाद्यान्न की स्थिति की सच्ची खबरें पता चल जाएँ तो बहुत खराब परिणाम हो सकते हैं। उसने विपरीत असर फैलाने के लिए मिस्टर व्हिंपर का इस्तेमाल करने का फैसला किया। अब तक तो पशुओं का व्हिंपर के साथ उसकी साप्ताहिक मुलाकातों के दौरान नहीं या नहीं के बराबर ही संपर्क था। अब अलबत्ता कुछेक चुने हुए पशुओं, खास कर भेड़ों को यह हिदायत दी गई कि वे उसे सुनाने के लिए गाहे-बगाहे यह जिक्र करती रहें कि उनका राशन बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, नेपोलियन ने यह आदेश दिया कि भंडार घर में खाली हो चुके डिब्बों को लगभग लबालब रेत से भर दिया जाए और उन्हें, जो थोड़ा बहुत राशन खाना बचा है, उससे पाट दें। किसी मुफीद बहाने से व्हिंपर को भंडार-घर में ले जाया गया ताकि वह डिब्बों को एक निगाह देख सके। वह धोखे में आ गया और बाहरी दुनिया को लगातार यही खबरें देता रहा कि बाड़े में खाने-पीने की कोई कमी नहीं है।

इतना होते हुए भी जनवरी के खत्म होते-होते यह स्पष्ट हो गया कि कहीं से कुछ और अनाज लेना जरूरी होगा। इन दिनों नेपोलियन जनता के सामने विरले ही आता। वह अपना सारा समय फार्म हाउस में गुजारता। इसके हरेक दरवाजे पर खूँखार से लगनेवाले कुत्तों का पहरा रहता। जब भी वह बाहर आता तो उसका आना समारोह-पूर्वक होता। छह कुत्ते उससे एकदम सट कर चलते हुए उसकी अगवानी करते और यदि कोई ज्यादा नजदीक आ जाता तो गुर्राने लगते। अक्सर वह रविवार की सुबह के समय भी नजर न आता, बल्कि दूसरों सूअरों में से किसी एक के, आम तौर पर स्क्वीलर के हाथ आदेश जारी करवा देता।

रविवार की एक सुबह स्क्वीलर ने घोषणा की कि मुर्गियों को, जिन्होंने हाल ही में फिर से अंडे दिए हैं, अपने अंडे अनिवार्य रूप से सौंपने होंगे। नेपोलियन ने व्हिंपर के जरिए हर हफ्ते सौ अंडे का एक ठेका मंजूर किया है। इनसे मिलनेवाले धन से इतना अनाज और खाना लिया जा सकेगा कि पशु बाड़े को गर्मियों तक और हालत सुधरने तक चलाया जा सके।

जब मुर्गियों ने यह सुना तो उनमें भीषण हड़कंप मच गया। उन्हें पहले चेतावनी दी गई थी कि इस त्याग की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन उन्हें विश्वास नहीं था, ऐसा सचमुच हो जाएगा। वे अभी वसंत ऋतु में सेने के लिए अपने दिए अंडों की ढेरियाँ तैयार कर ही रही थीं। उन्होंने विरोध जतलाया कि उनसे ऐसे वक्त अंडे छीन ले जाना हत्या होगी। जोंस के निष्कासन के बाद यह पहली बार था कि बगावत से मिलता-जुलता कुछ हो रहा था। तीन युवा काली मिनोरका पछोरों के नेतृत्व में उन्होंने नेपोलियन की इच्छाओं पर पानी फेरने के लिए निर्णायक प्रयास किया। वे उड़ कर टाँड़ों पर जा बैठीं और वहीं अपने अंडे दिए जो नीचे गिर कर टूट-फूट गए। नेपोलियन ने तुरंत और बेरहमी से कार्रवाई की। उसने मुर्गियों की खुराक बंद करने का आदेश दिया और धमकी दी कि यदि कोई पशु मुर्गियों को अनाज का एक दाना भी देता हुआ पाया जाए तो उसे मृत्युदंड दिया जाए। कुत्तों ने इस बात की निगरानी की कि इन आदेशों का ठीक तरह से पालन हो। पाँच दिन तक मुर्गियाँ अलग-थलग रहीं। फिर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया और अपने दड़बों में लौट आई। इस बीच नौ मुर्गियाँ मर चुकी थीं। उनके शव फलोद्यान में दफना दिए गए और यह खबर फैला दी गई कि आंत्ररोग से उनकी मौत हो गई है। व्हिंपर ने इस बाबत कुछ भी नहीं सुना और अंडों की विधिवत सुपुर्दगी कर दी गई। एक किरानेवाले की गाड़ी हफ्ते में एक बार फार्म पर आती और अंडे ले जाती।

इस पूरे अरसे के दौरान स्नोबॉल को फिर नहीं देखा गया। यह अफवाह थी कि वह दोनों पड़ोसी फार्मों में से एक में फॉक्सवुड में या फिर पिंचफील्ड में छुपा हुआ है। इस समय तक नेपोलियन ने पहले की तुलना में दूसरे किसानों से थोड़े बेहतर संबंध बना लिए थे। हुआ यह कि अहाते में इमारती लकड़ी का एक ढेर पड़ा हुआ था, जो दस बरस पहले सफेदे के झुरमुट साफ करने के बाद से वहीं चट्टे लगा कर रखा हुआ था। लकड़ी अच्छी सिझाई हुई थी और व्हिंपर ने नेपोलियन को इसे बेच डालने की सलाह दी थी। मिस्टर विलकिंगटन और मिस्टर फ्रेडरिक दोनों ही इसे खरीदने के लिए उत्सुक थे। नेपोलियन दोनों के बीच हिचकिचा रहा था और फैसला नहीं कर पा रहा था। यह पता चला कि जब भी यह फ्रेडरिक के साथ सौदेबाजी करने की स्थिति तक पहुँचता यह घोषित कर दिया जाता कि स्नोबॉल फॉक्सवुड में छुपा बैठा है, जबकि विलकिंगटन की तरफ उसका झुकाव होते ही स्नोबॉल को पिंचफील्ड मे बता दिया जाता।

वसंत के शुरू में, अचानक एक खतरनाक बात पता चली। स्नोबॉल गुपचुप रात में बाड़े में आता रहा था। पशु इतने व्याकुल हो गए कि रात में अपने-अपने थान पर सोना उनके लिए मुश्किल हो गया। यह कहा गया कि हर रात वह अँधेरे का फायदा उठाते हुए भीतर सरक आता है और हर तरह की बदमाशियाँ करता है। वह मकई चुराता है, दूध के बर्तन अस्त-व्यस्त कर देता है, वह अंडे तोड़ देता है, वह क्यारियों को रौंद देता है, वह फलदार पेड़ों की छाल उतार देता है। जब भी कहीं कोई गड़बड़ होती, आम तौर पर स्नोबॉल के मत्थे मढ़ दी जाती। अगर कोई खिड़की टूट जाती, या नाली जाम हो जाती, तो कोई-न-कोई जरूर कह देता रात को स्नोबॉल आया था और ये खुराफातें कर गया। जब भंडार घर की चाभी खो गई तो पूरे बाड़े को पक्का विश्वास हो गया कि स्नोबॉल ने ही चाभी कुएँ में फेंक दी है। कौतूहल तो इस बात का था कि अनाज की बोरी के नीचे खोई हुई चाभी मिल जाने के बाद भी वे इसी पर विश्वास करते रहे। गायों ने सर्वसम्मति से घोषणा कर दी कि स्नोबॉल उनके थानों में घुस आता है और जब वे नींद में होती हैं, उनका दूध दूह ले जाता है। चूहे भी जो उन सर्दियों में ऊधमी हो गए थे, स्नोबॉल के साथ साँठ-गाँठ के दोषी करार दिए गए।

नेपोलियन ने आदेश दिया कि स्नोबॉल की हरकतों की पूरी छानबीन होनी चाहिए। उसने अपने कुत्तों को मुस्तैद किया और बाड़े की इमारतों का निरीक्षण करने के लिए सतर्क हो कर दौरा किया। पशु आदरपूर्वक उससे थोड़ी दूरी बनाए पीछे चलते रहे। थोड़े-थोड़े कदमों के बाद नेपालियन रुकता, स्नोबॉल के पैरों के निशानों को पहचानने की नीयत से जमीन सूँघता। उसका कहना था कि वह सूँघ कर ही पता लगा सकता है। उसने कोने-कोने में सूँघा। बखार में सूँघा। तबेले में सूँघा, फिर दड़बों में सूँघा। सब्जियों की क्यारियों में सूँघा। उसे कमोबेश हर जगह स्नोबॉल के पैरों के निशान मिले। वह अपना थूथन जमीन पर लगाता, लंबी-लंबी कई साँसें खींचता और डरावनी आवाज में चिल्लाता, 'स्नोबॉल! वह यहाँ आया था? मैं उसे अलग से सूँघ कर बता सकता हूँ।' 'स्नोबॉल' शब्द कानों में पड़ते ही कुत्ते भयानक रूप से गुर्राने लगते और अपने डरावने दाँत दिखाते।

पशु बुरी तरह डरे हुए थे। उन्हें लगता जैसे स्नोबॉल कोई अदृश्य जिन हो, जो हवा को चीरते हुए उन तक आ पहुँचा हो और उन्हें तरह-तरह के खतरों में डालता है। शाम के वक्त स्क्वीलर ने उन्हें इकट्ठा होने के लिए कहा। अपने चेहरे पर घबराहट के भाव लाते हुए उसने बताया कि वह उन्हें कुछ बहुत ही गंभीर बात कहने जा रहा है।

स्क्वीलर थोड़ा नर्वस हो कर फुदकते हुए चिल्लाया, 'कॉमरेड्स, एक बहुत ही भयानक बात का पता चला है। स्नोबॉल ने खुद को पिंचफील्ड बाड़े में फ्रेडरिक के हाथों बेच रखा था। वह अभी भी हम पर हमला करने और हमारा बाड़ा हमसे छीन लेने की योजनाएँ बना रहा है। जब हमला शुरू होगा तो स्नोबॉल उसके गाइड का काम करनेवाला है। लेकिन उससे भी बदतर एक और बात है। हम तो यही सोचते आए थे कि स्नोबॉल की बगावत उसके दंभ और महत्वाकांक्षा का नतीजा थी। लेकिन हम गलती पर थे, कॉमरेड्स! क्या आप जानते हैं कि इसकी असली वजह क्या थी? स्नोबॉल ने शुरू से ही जोंस से साँठ-गाँठ कर रखी थी। वह सारे के सारे समय जोंस का सीक्रेट एजेंट था। जो दस्तावेज वह अपनी पीछे छोड़ गया है वह हमें अभी-अभी मिले हैं, उनसे यह सिद्ध हो चुका है। जहाँ तक मेरा दिमाग चलता है, कॉमरेड्स, इससे बहुत सारी बातों से परदा उठता है। क्या हमने खुद अपनी आँखों से नहीं देखा कि उसने किस तरह से हमला किया था? हमें हरा कर वह तबेले की लड़ाई में मटियामेट कर देना चाहता था। सौभाग्य से वह इसमें सफल नहीं हो सका।'

पशु हक्के-बक्के रह गए। यह तो स्नोबॉल की पवनचक्की को नष्ट करने की धूर्तता से भी ज्यादा तकलीफवाली बात थी।

उन्हें इस बात को पूरी तरह जब्त करने में थोड़ा वक्त लगा। उन सबको याद था या उन्होंने सोचा कि उन्हें याद था कि तबेले की लड़ाई में उनके आगे-आगे किस तरह स्नोबॉल को हमला बोलते उन्होंने खुद देखा था। वह किस तरह कदम-कदम पर उनमें प्राण फूँकता और उत्साहित करता था और जब जोंस की बंदूक की गोलियों से उसकी पीठ छलनी हो गई थी तब भी वह एक पल के लिए भी नहीं रुका था। पहले तो उनके लिए यह देखना ही मुश्किल हो गया कि इन सारी बातों के साथ स्नोबॉल को जोंस की तरफ कैसे मान लें। यहाँ तक कि कभी कोई सवाल न उठाने वाला बॉक्सर भी दुविधा में पड़ कर रह गया। वह नीचे बैठा। अपने आगे के पैर अपने नीचे मोड़ लिए, आँखें बंद की और बड़ी मुश्किल से अपने विचारों को सिलसिलेवार बिठा पाया।

'मैं इस पर विश्वास नहीं करता,' उसने कहा, 'स्नोबॉल तबेले की लड़ाई में बहुत बहादुरी से लड़ा। मैंने खुद उसे लड़ते हुए देखा। क्या उसके तत्काल बाद हमने उसे ''पशु वीर उत्तम कोटि'' से अलंकृत नहीं किया था?'

'वह हमारी भूल थी, कॉमरेड! क्योंकि हम अब जान पाए हैं, हमें मिले गुप्त दस्तावेजों में यह सब कुछ लिखा हुआ है कि दरअसल वह हमें बहका कर हमें सर्वनाश की ओर ले जाने की कोशिश कर रहा था।'

'लेकिन वह जख्मी था,' बॉक्सर ने कहा, 'हम सबने उसे खून से लथपथ दौड़ते हुए देखा था।'

'वह सब एक चाल का हिस्सा था।' स्क्वीलर चिल्लाया, 'जोंस की गोली से उसे सिर्फ खरोचें आई थीं। अगर तुम पढ़ सकते होते तो मैं खुद उसी की हैंडराइटिंग में दिखा सकता हूँ। प्लॉट यह था कि नाजुक क्षणों में स्नोबॉल भागने के लिए संकेत देता और मैदान दुश्मन के हवाले छोड़ कर भाग जाता और वह लगभग सफल हो ही चुका था, बल्कि मैं तो यही तर्क दूँगा, कॉमरेड्स! अगर हमारे नेताजी, कॉमरेड नेपोलियन ने बहादुरी न दिखाई होती तो वह जीत जाता। आपको याद नहीं है कि जब जोंस और उसके आदमी अहाते में घुस आए थे तो किस तरह स्नोबॉल अचानक मुड़ा और भाग लिया। कई पशु उसके पीछे-पीछे भागे। और क्या आपको यह भी याद नहीं है कि यह वही क्षण था, जब चारों तरफ भगदड़ मची हुई थी और लगने लगा था कि सब कुछ गया, तभी कॉमरेड नेपोलियन 'मनुष्यता का नाश हो' का हुंकार भरते हुए आगे उछले थे और उन्होंने जोंस की टाँग में अपने दाँत गड़ा दिए थे। यह आपको पक्का ही याद होगा, कॉमरेड्स?' दाएँ-बाएँ फुदकते हुए स्क्वीलर ने आश्चर्य व्यक्त किया।

अब जब स्क्वीलर ने सारे दृश्य का इतनी बारीकी से साफ-साफ वर्णन किया तो पशुओं को लगा कि उन्हें यह याद है। कुछ भी रहा हो, उन्हें यह तो याद था कि लड़ाई के नाजुक क्षणों में स्नोबॉल भागने के लिए मुड़ा था। लेकिन बॉक्सर अभी थोड़ा परेशान था।

'मुझे विश्वास नहीं होता है कि शुरू-शुरू में स्नोबॉल विश्वासघाती था।' उसने आखिर कह ही दिया। 'उसके बाद उसने क्या किया, यह अलग बात है। लेकिन मुझे विश्वास है, तबेले की लड़ाई में वह एक अच्छा कॉमरेड था।'

'हमारे नेताजी, कॉमरेड नेपोलियन ने,' स्क्वीलर ने बहुत धीमे-धीमे और दृढ़ता से बताया, 'साफ तौर पर कहा है, कॉमरे,ड कि स्नोबॉल शुरू से ही जोंस का एजेंट था और बगावत का खयाल आने से भी पहले से ही था।'

'ओह, तब दूसरी बात है।' बॉक्सर ने कहा, 'अगर कॉमरेड नेपोलियन कहते हैं तो यह ठीक ही होना चाहिए।'

'यही सच्ची भावना है, कॉमरेड।' स्क्वीलर चिल्लाया लेकिन यह देखा गया कि उसने अपनी छोटी-छोटी मिचमिचाती आँखों से बॉक्सर की तरफ बहुत घृणित नजर से देखा। वह जाने के लिए मुड़ा, फिर रुका और जोर देते हुए बोला, 'मैं इस बाड़े के हर प्राणी को चेतावनी देता हूँ कि अपनी आँखें पूरी तरह खुली रखें। हमारे पास यह सोचने के कारण हैं कि इस वक्त भी हम लोगों के बीच स्नोबॉल के सीक्रेट एजेंट घात लगाए छुपे बैठे हैं।'

चार दिन बाद दोपहर ढलने के बाद, नेपोलियन ने सभी पशुओं को बाड़े में इकट्ठा होने का आदेश दिया। सबके जमा हो जाने के बाद, नेपोलियन फार्म हाउस में से प्रकट हुआ। उसने अपने दोनों पदक लगा रखे थे। (उसने हाल ही में खुद को 'पशुवीर उत्तम कोटि' और 'पशुवीर मध्यम कोटि' के सम्मान से विभूषित कर लिया था) उसके आगे पीछे उसके नौ के नौ विशाल कुत्ते उछलते कूदते चले आ रहे थे। उनकी गुर्राने की आवाज इतनी तेज थी कि पशुओं की हड्डियों में भी डर के मारे पसीना आ जाए। सभी पशु चुपचाप अपनी-अपनी जगह में धँस गए, उन्हें पहले से ही आभास हो गया था कि कोई हादसा होनेवाला है।

नेपोलियन अपने श्रोताओं का मुआयना करते हुए दृढ़ता से खड़ा हुआ। उसके बाद उसने बहुत ऊँची आवाज में घुरघुराहट की। कुत्ते एकदम आगे लपके, चार सूअरों को कानों से दबोचा, और दर्द तथा आतंक से पिनपिनाते उन्हें नेपोलियन के कदमों में डाल दिया। कुछ पलों के लिए लगा, कुत्ते एकदम पागल हो गए हैं। सबके सब हक्के-बक्के रह गए जब उन कुत्तों में से तीन बॉक्सर की तरफ उछले। बॉक्सर ने उन्हें आते देख लिया और अपना विशाल सुम उठाया, और एक कुत्ते को बीच हवा में ही रोक लिया। उसे जमीन पर पटक कर अपने सुम के नीचे दबा दिया। कुत्ता दया के लिए किंकियाया, बाकी दोनों कुत्ते अपनी पिछली टाँगों में दुम दबा कर भाग लिए। बॉक्सर ने नेपोलियन की तरफ यह जानने की नीयत से देखा कि क्या करूँ इसका? कुत्ते को कुचल कर मार डालूँ या जाने दूँ? नेपोलियन अपनी मुखमुद्रा बदलता प्रतीत हुआ और उसने तेज आवाज में बॉक्सर को कुत्ते को छोड़ देने का आदेश दिया। बॉक्सर ने तब अपना सुम उठाया और बिलबिलाता हुआ, जख्मी हालत में वहाँ से खिसक लिया।

फिलहाल हंगामा शांत हो गया। चारों सूअर अभी भी काँपते हुए इंतजार कर रहे थे। उनके चेहरे की एक-एक शिरा पर अपराध लिखा हुआ था। तब नेपोलियन ने उन्हें अपने अपराध कबूल करने का आदेश दिया। वे वही चार सूअर थे जिन्होंने नेपोलियन के रविवार की बैठकें खत्म करने के फैसले का विरोध किया था। बिना और उकसाए उन चारों ने स्वीकार किया कि स्नोबॉल के निष्कासन के बाद से ही वे उससे गुप्त रूप से संपर्क बनाए हुए थे और उन्होंने उसके साथ मिलीभगत करके पवनचक्की को नष्ट करने का षडयंत्र रचा था और उन्होंने उसके साथ एक समझौता किया था कि बाड़ा मिस्टर फ्रेडरिक को सौंप देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि स्नोबॉल ने निजी तौर पर उसके सामने स्वीकार किया था कि वह कई वर्षों से जोंस का सीक्रेट एजेंट रहा था। जब उन्होंने अपने-अपने अपराध स्वीकार कर लिए तो कुत्तों ने तुरंत उनके गले फाड़ डाले। खतरनाक आवाज में तब नेपोलियन गरजा कि क्या किसी और प्राणी को भी अपना कोई अपराध स्वीकार करना है?

तीन मुर्गियाँ, जो अंडों को ले कर हुई बगावत की सरगनाएँ थीं, आगे आईं और बताया कि स्नोबॉल उनके सपनों में आया था और उन्हें भड़का गया था कि वे नेपोलियन के आदेश न मानें।

उन्हें भी कत्ल कर दिया गया। तब एक हंस सामने आया जिसने स्वीकार किया कि पिछले साल फसल के मौके पर उसने मकई की छह फलियाँ छुपा ली थीं और रात के वक्त खा गया था। तब एक भेड़ ने स्वीकार किया कि उसने पीने के पानी के तालाब में पेशाब किया था। उसने बताया कि ऐसा करने के लिए उसे स्नोबॉल ने उकसाया था। दो और भेड़ों ने माना कि उन्होंने नेपोलियन के एक खास निष्ठावान भक्त एक बूढ़े भेड़ को आग के चारों तरफ दौड़ा कर उस वक्त मार डाला था जब वह खाँसी से पीड़ित था। इन सबको वहीं के वहीं मौत के घाट उतार दिया गया और इस तरह अपने-अपने अपराध स्वीकार करने का और प्राणदंड देने का सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक नेपोलियन के पैरों के आगे लाशों का ढेर नहीं लग गया। हवा खून की गंध से भारी हो चली थी। खून, जिसे जोंस के निष्कासन के बाद किसी ने नहीं जाना था।

यह सब निपट जाने के बाद, सूअरों और कुत्तों को छोड़ कर बाकी पशु एक साथ सरकते हुए निकल गए, उनके दिल दहले हुए थे और सबके सब दयनीय लग रहे थे। वे नहीं जानते थे कि उन्हें किस चीज से ज्यादा धक्का लगा है। स्नोबॉल के साथ साँठ-गाँठ करनेवाले पशुओं की धोखाधड़ी से या उस क्रूर खूनखराबे से जिसके वे थोड़ी देर पहले चश्मदीद गवाह थे। पुराने दिनों में भी अकसर इतने ही खतरनाक खूनखराबे हुआ करते थे लेकिन उन सबको लगा कि अब यह बहुत ही खराब बात है कि यह सब कुछ उनके बीच आपस में ही हो रहा है। बाड़े से जोंस के जाने के बाद से किसी भी पशु ने किसी दूसरे पशु को नहीं मारा था, यहाँ तक कि किसी चूहे को भी नहीं मारा गया था। वे सब उस छोटी टेकरी की तरफ बढ़े, जहाँ आधी-अधूरी पवनचक्की खड़ी थी। जैसे सबने तय किया हो, क्लोवर, मुरियल, बैंजामिन, गाएँ, हंसों और मुर्गियाँ के झुंड हर कोई आपस में सट कर बैठ गए, जैसे एक-दूसरे की गर्मी महसूस करना चाहते हों, इनमें बिल्ली नहीं थी, जो पशुओं को इकट्ठा होने के नेपोलियन के आदेश से कुछ ही पहले अचानक गायब हो गई थी। थोड़ी देर तक कोई भी कुछ नहीं बोला। सिर्फ बॉक्सर अपनी टाँगों पर खड़ा रहा। वह अपने पुट्ठों पर अपनी लंबी काली पूँछ सटकाते हुए बेचैनी से आगे-पीछे होता रहा। बीच-बीच में वह हैरानी की हल्की-सी हिनहिनाहट की आवाज निकालता। अंतत: उसने कहना शुरू किया, 'मैं इसे समझ नहीं पा रहा हूँ। मुझे यकीन नहीं आ रहा, ऐसी चीजें हमारे बाड़े में हो सकती हैं। इसमें कहीं हमारा ही दोष होगा। जहाँ तक मुझे लगता है, इसका एक ही हल है, और कड़ी मेहनत की जाए। अब से मैं सुबह के वक्त एक घंटा जल्दी उठा करूँगा।'

और वह अपनी भदभदाती हुई दुलकी चाल से खदान की तरफ चल दिया। वहाँ पहुँचने के बाद उसने, रात ढलने से पहले, पत्थरों के दो ढेर जमा किए और उन्हें घसीट कर पवनचक्की तक ले गया।

सभी पशु क्लोवर के पास सरक आए। कोई भी बात नहीं कर रहा था। जिस टेकरी पर वे बैठे हुए थे, वहाँ से गाँवों की तरफ का बहुत अच्छा नजारा नजर आता था।

पशुबाड़े का ज्यादातर हिस्सा सड़क तक जाता। लंबा-चौड़ा चरागाह, घास के मैदान, पीने के पानी का ताल, जुते हुए खेत जहाँ पके हुए गेहूँ की भरी-भरी सुनहरी बालियाँ थीं, बाड़े की इमारतों की लाल छतें जिनकी चिमनियों से धुएँ की आड़ी-तिरछी लकीरें निकल रही थीं। यह सब कुछ उनकी आँखों के सामने था। यह वसंत के दिनों की एक उजली शाम थी। घास और हरी-भरी बाड़ों पर धूप की चिनगियां चमक रही थीं। पशुओं ने एक तरह आश्चर्य के साथ याद किया कि यह बाड़ा जो उनका अपना बाड़ा है, इसका चप्पा-चप्पा उनकी अपनी संपत्ति है, उन्हें कभी भी इतना प्यारा नहीं लगा था। क्लोवर अपनी आँखों में आँसू भरे पहाड़ों की तरफ देखती रही। अगर वह अपने विचारों को शब्द दे पाती तो वह यही कहना चाहती कि यह सब वह नहीं है जिसे मानव जाति को बाहर करने के लिए, काम करने के लिए बरसों पहले उन्होंने अपना मकसद बनाया था। आतंक और कत्लेआम के इन नजारों की तो उन्होंने कल्पना नहीं की थी जब उस रात जनाब मेजर ने पहली बार उनके कानों में बगावत का बिगुल फूँका था। यदि वह खुद भविष्य का कोई चित्र आँक पाती तो वहाँ पशुओं का एक ऐसा समाज होता जहाँ न भूख होती, न कोड़े होते। सब बराबर होते। हर कोई अपनी क्षमता के हिसाब से काम करता। जो बलशाली हैं, दुर्बल की रक्षा करते जैसा कि मेजर के भाषण की रात उसने अपनी अगली टाँगों के बीच बत्तखों की आखिरी पीढ़ी की रक्षा करके किया था। इसके बजाय वह नहीं जानती कि ऐसा क्यों हुआ है? वे ऐसे वक्त के दौर में आ पहुँचे हैं जहाँ कोई अपने मन की बात कहने का साहस नहीं जुटा पाता, जब खतरनाक गुर्राते कुत्ते हर जगह घूमते रहते हैं, और जब आपको अपने ही साथियों को दिल दहला देनेवाले अपराध स्वीकार करने के जुर्म के बाद चीथड़ों में चिरते दिखाई पड़ता है। उसके दिमाग में बगावत या अवज्ञा का कोई विचार नहीं था। वह जानती थी कि चीजें जैसी हैं, इसके बावजूद वे जोंस के दिनों की तुलना में अब भी बहुत अच्छी हैं और किसी भी बात के बजाय सबसे जरूरी यही है कि मनुष्य जाति को वापस नहीं आने देना है। चाहे कुछ भी हो जाए, वह निष्ठावान बनी रहेगी, खूब मेहनत करती रहेगी, उसे जो भी आदेश दिए जाते हैं, उनका पालन करेगी और नेपोलियन के नेतृत्व को स्वीकार करती रहेगी। लेकिन फिर भी उसने और सभी दूसरे पशुओं ने इस सबकी उम्मीद नहीं की थी और न ही इसके लिए पसीना बहाया था। इस दिन के लिए उन्होंने पवनचक्की नहीं बनाई थी और जोंस की गोलियों का सामना नहीं किया था। उसके इस तरह के विचार थे, लेकिन उसके पास इन सबको व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं थे।

आखिर जब उसे कहने के लिए शब्द नहीं मिले तो उसने 'इंग्लैंड के पशु' गीत को ही कुछ हद तक विकल्प माना और इसे गाना शुरू कर दिया। उसके आस-पास बैठे पशुओं ने इसे उठाया और तीन बार पूरा गाया। बहुत ही सरस स्वर में, लेकिन धीमे-धीमे और मातमी धुन में। इस तरह से उन्होंने इसे पहले कभी नहीं गाया था।

उन्होंने अभी तीसरी बार गाना खत्म किया था जब दो कुत्तों की अगवानी में स्क्वीलर उनके पास आया। उसने इस तरह का आभास दिया जैसे कोई बहुत महत्वपूर्ण बात करनी हो। उसने घोषणा की कि कॉमरेड नेपोलियन के एक विशेष आदेश के द्वारा 'इंग्लैंड के पशु' बंद कर दिया गया है। अब से आगे इस गाने की मनाही होगी।

पशु हक्के-बक्के रह गए।

'क्यों?' मुरियल चिल्लाई।

'अब इसकी जरूरत नहीं है, कॉमरेड,' स्क्वीलर की आवाज में तुर्शी थी, 'इंग्लैंड के पशु' बगावत का गीत था, लेकिन अब बगावत पूरी हो चुकी है। इसी दोपहर को विश्वासघातियों को दी गई मौत की सजा बगावत का अंतिम अंक था। 'इंग्लैंड के पशु' में हमने आनेवाले दिनों एक बेहतर समाज के लिए अपनी अभिलाषा व्यक्त की थी। लेकिन अब यह समाज स्थापित हो चुका है। यह साफ है कि अब इस गीत का कोई मकसद नहीं रहा है।'

हालाँकि पशु डरे हुए थे। कुछेक ने संभवत: विरोध भी किया होता, लेकिन उसी क्षण भेड़ों ने अपनी वहीं पुरानी धुन 'चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें खराब' की मिमियाहट छेड़ दी। यह में-में कई मिनटों तक चलती रही और इससे बहस खत्म ही हो गई। इस तरह 'इंग्लैंड के पशु' फिर कभी नहीं सुना गया। इसके स्थान पर मिनिमस कवि जी ने एक और गीत की रचना की। इसकी शुरू की पंक्तियाँ इस तरह थीं :

पशुबाड़ा, पशुबाड़ा

होगा नहीं ऐसा कभी, जब

मैंने तुम्हारा कुछ बिगाड़ा

इसे हर रविवार की सुबह झंडा चढ़ाने के बाद गाया जाता। लेकिन हुआ यह कि न तो इस गीत के बोल और न ही धुन पशुओं को 'इंग्लैंड के पशु' के स्तर की लगी।

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