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वर्षों बीत गए। मौसम आए और गए। अल्पजीवी पशु अपनी जीवन-लीला समाप्त कर गए। एक ऐसा भी वक्त आया जब क्लोवर, बैंजामिन, काले कव्वे मोसेस और कुछ सूअरों के सिवाय किसी को पता भी नहीं था कि बगावत से पहले के दिन कैसे थे।
मुरियल गुजर चुकी थी, ब्लूबैल, जेस्सी, पिंचर तीनों नहीं रहे। जोंस भी मर चुका था। वह देश के किसी दूसरे भाग में किसी पियक्कड़ के घर में मरा था। स्नोबॉल को भुलाया जा चुका था। बॉक्सर को भुलाया जा चुका था। वह सिर्फ उन्हीं की स्मृति में था, जो उसे जानते थे। क्लोवर अब बूढ़ी, मोटी घोड़ी थी, जिसके जोड़ों में दर्द उठता था, और आँखें हमेशा नम रहती थीं। वह रिटायरमेंट की उम्र दो साल पहले पूरी कर चुकी थी, लेकिन स्थिति यह थी कि अब तक कोई भी पशु रिटायर नहीं किया गया था। सेवानिवृति पा चुके पशुओं के लिए चरागाह का एक कोना अलग रखने की योजना कब से खटाई में डाली जा चुकी थी। नेपोलियन अब कोई डेढ़ सौ पौंड का वयस्क बधिया न किया गया सूअर था। स्क्वीलर इतना मोटा हो गया था कि आँखें खुली रख कर मुश्किल से देख पाता। सिर्फ बूढ़ा बैंजामिन पहले जैसा ही था। थोबड़े के पास उसका रंग थोड़ा सफेद हो गया था। बॉक्सर की मौत के बाद वह पहले से भी ज्यादा उदास, चिड़चिड़ा और चुप्प हो गया था।
अब बाड़े पर कई नए प्राणी आ गए थे। हालाँकि यह वृद्धि इतनी अधिक नहीं थी, जितनी शुरू के वर्षों में उम्मीद की गई थी। पैदा होनेवाले कई प्राणियों के लिए बगावत एक धुँधली सी परंपरा मात्र थी, जो मुँह जबानी एक-दूसरे से उन तक चली आई थी। कुछ ऐसे प्राणी थे जो खरीद कर लाए गए थे, जिन्होंने यहाँ आने से पहले ऐसी किसी घटना का जिक्र भी नहीं सुना था। अब बाड़े में क्लोवर के अलावा तीन घोड़े और थे। ये हट्टे-कट्टे शानदार प्राणी थे, काम करने में दिलचस्पी रखते और अच्छे साथी थे, लेकिन जाहिल थे। उन्हें बगावत के और पशुवाद के सिद्धांतों के बारे में जो कुछ भी बताया जाता, उसे वे स्वीकार कर लेते। वे क्लोवर की तो कोई बात न टालते। वे उसके प्रति माँ जैसा आदर रखते, लेकिन इस बात में शक था कि वे इसका सिर-पैर कुछ समझते भी थे या नहीं।
अब बाड़ा अधिक संपन्न और बेहतर संचालित था। इसमें अब मिस्टर विलकिंगटन से खरीदे गए दो खेत जोड़ कर इसे और बड़ा कर लिया गया था। पवनचक्की को, आखिरकार, सफलतापूर्वक पूरा कर ही लिया गया था। बाड़े में अब खुद की एक थ्रैशिंग मशीन और सूखी घास काटने की एक मशीन थी। कई नई इमारतें अब बाड़े में जुड़ चुकी थीं। व्हिंपर ने अपने लिए एक ताँगा खरीद लिया था। अलबत्ता, पवनचक्की को बिजली पैदा करने के लिए तो नहीं ही इस्तेमाल किया गया था। यह अनाज दलने के काम में ली जाती, लाभ के रूप में काफी रुपए पैसे मिल जाते। अब पशु एक और पवनचक्की बनाने में जुटे हुए थे। यह बताया गया था कि जब यह पूरी हो जाएगी तो इसमें डायनमो लगाया जाएगा। लेकिन उन विलासिताओं का जिनका कभी स्नोबॉल ने पाठ पढ़ाया था और सबको थानों में बिजली, गर्म और ठंडा पानी, तीन दिन का सप्ताह जो सपने में दिखाए थे, अब कोई इनका जिक्र नहीं करता था। नेपोलियन ने यह कह कर इन विचारों को त्याग दिया था कि पशुवाद की भावना के खिलाफ हैं। उसका कहना था कि सच्ची खुशी काम करने और थोड़े में गुजारा करने में ही है।
पता नहीं क्यों, ऐसा लगा कि पशुओं को खुद अमीर बनाए बगैर यह बाड़ा पहले अमीर हो गया था। हाँ, इस बीच सूअर और कुत्ते जरूर अमीर हो गए थे। शायद इसका कारण आंशिक रूप से यह भी रहा हो कि वहाँ ढेरों कुत्ते थे। ऐसा नहीं था कि ये प्राणी, अपनी फैशन के बाद काम ही नहीं करते थे। वहाँ पर, जैसा कि स्क्वीलर बयान करते नहीं थकता था, बाड़े की देख-रेख का और संगठन का बेहिसाब काम था। इसमें से ज्यादातर काम तो ऐसा था कि जिसे समझ पाना दूसरे पशुओं के बस का नहीं था। उदाहरण के लिए स्क्वीलर उन्हें बताता कि सूअरों को प्रतिदिन फाइल, रिपोर्ट, कार्यवृत्त, ज्ञापन जैसी कई रहस्यमय चीजों के साथ घंटों दिमाग खपाना पड़ता है। ये बड़े-बड़े कागज होते हैं, जिन्हें ऊपर से नीचे तक लिख कर काला करना होता है। जैसे ही कागज पूरे भर जाएँ, उन्हें भट्टी में जला दिया जाता है। स्क्वीलर कहता, यह बाड़े के कल्याण के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण काम होता है। लेकिन इसके बावजूद न तो सूअर और न ही कुत्ते अपनी मेहनत से अपने लिए कुछ खाद्यान्न उगाते और ऐसे जीव वहाँ भरे पड़े थे। उनकी खुराक भी हमेशा अच्छी खासी रहती।
जहाँ तक औरों का सवाल था, वे जितना जानते थे, उनकी जिंदगी हमेशा से ऐसे ही थी। वे अकसर भूखे रहते, वे पुआल पर सोते, तलैया का पानी पीते, खेतों में मेहनत करते, सर्दियों में उन्हें ठंड सताती, गर्मियों में मक्खियाँ परेशान करतीं। कभी-कभी कुछ बूढ़े प्राणी अपनी धूमिल याददाश्त को टटोलते और यह तय करने की कोशिश करते कि तब के दिन, जब बगावत हुई थी, जोंस को निकाले ज्यादा अरसा नहीं हुआ था, चीजें बेहतर या खराब थीं या अब बेहतर या खराब हैं? उन्हें कुछ याद न आता। उनकी आज की जिंदगी में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसकी वे तुलना कर पाते, उनके पास स्क्वीलर की अंतहीन सूचियों के अलावा भरोसा करने के लिए कुछ भी नहीं था। सूचियाँ सारी चीजों को पहले से बेहतर और बेहतर बनाती चलतीं। पशुओं को इस समस्या का कोई समाधान न मिलता। वैसे भी, अब उनके पास इन सारी चीजों पर गँवाने के लिए वक्त ही कहाँ था। सिर्फ बूढ़ा बैंजामिन दावा करता कि उसे अपनी लंबी जिंदगी की छोटी से छोटी बात याद है और वह बताता कि उसे पता है कि चीजें कभी न बेहतर रही हैं न खराब। वे बेहतर या खराब हो भी नहीं सकतीं। वह कहा करता - भूख, तकलीफ और निराशा ही जीवन के न बदले जा सकनेवाले नियम हैं।'
इसके बावजूद पशुओं ने कभी आस नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं, उन्होंने एक पल के लिए भी पशु बाड़े का सदस्य होने के सम्मान की सुविधा की भावना को नहीं खोया। अभी भी पूरे देश में इंग्लैंड भर में उनका अकेला पशु बाड़ा था जिसके स्वामी और संचालक खुद पशु थे। उनमें से कोई भी, नन्हाे से नन्हाम प्राणी, यहाँ तक कि दस-बीस मील दूर के बाड़ों से खरीद कर लाए गए प्राणी भी इस पर गर्व करना न भूलते। जब वे बंदूक की गर्जन सुनते, ऊपर हरा झंडा फहराता देखते, तो उनके सीने गर्व से फूल कर कुप्पा हो जाते। उनकी बातें हमेशा वीरता भरे उन पुराने दिनों की तरफ लौट जाती जब जोंस को खदेड़ा गया था। सात धर्मादेश लिखे गए थे। वह महान लड़ाई जिसमें हमला करनेवाले मनुष्यों को हराया गया था। किसी भी पुराने सपने को त्यागा नहीं गया था। पशुओं के गणतंत्र, जिसकी मेजर ने भविष्यवाणी की थी, जब इंग्लैंड के हरे-भरे खेतों पर मनुष्यों के पैर भी नहीं पड़ेंगे, अभी भी उसमें विश्वास किया जाता था। किसी न किसी दिन यह आएगा, यह भी हो सकता है इस समय जी रहे किसी प्राणी के जीवनकाल में न आए, लेकिन वह दिन आएगा जरूर। यहाँ तक कि 'इंग्लैंड के पशु' गीत की धुन भी शायद यहाँ वहाँ चुपके से गुनगुना ही दी जाती थी। कुछ भी हो, यह सच्चाई थी कि बाड़े का हर पशु इस धुन को जानता था। भले ही किसी में भी इसे जोर से गाने की हिम्मत नहीं थी। यह हो सकता था कि उनका जीवन कठिन था और उनकी सारी उम्मीदें खरी नहीं उतरी थीं, लेकिन वे अच्छी तरह जानते थे कि उनका जीवन और पशुओं की तरह नहीं है। अगर वे भूखे सोते हैं तो ऐसा किसी तानाशाह मनुष्य को खिलाने की वजह से नहीं है। यदि वे हाड़तोड़ मेहनत करते हैं, तो उनकी यह मेहनत कम से कम उनके खुद के लिए होती है। उनमें से कोई भी प्राणी दो टाँगों पर नहीं चलता। कोई भी प्राणी किसी दूसरे प्राणी को मालिक नहीं कहता। सभी पशु बराबर हैं।
गर्मियों के शुरू में एक दिन स्क्वीलर ने भेड़ों को अपने पीछे आने के लिए कहा। वह उन्हें बाड़े के फालतू पड़ी जमीन की तरफ ले गया। वहाँ सफेदे की बनी झाड़ियाँ उगी हुई थीं। भेड़ों ने वहाँ, स्क्वीलर की देखरेख में सारा दिन पत्ते चरते हुए बिताया। शाम को स्क्वीलर अकेला ही फार्म हाउस में लौट आया। उसने बताया कि चूँकि मौसम गरम है, इसलिए उसने भेड़ों को वहीं रह जाने के लिए कह दिया है। आखिर हुआ यह कि भेड़ें पूरा हफ्ता वहीं रहीं और इस समय के दौरान उन्हें किसी ने भी नहीं देखा। दिन का ज्यादातर समय स्क्वीलर उन्हीं के साथ गुजारता। उसने बताया कि उन्हें एक नया गीत सिखाया जा रहा है जिसके लिए प्राइवेसी की जरूरत है।
भेड़ें अभी लौटी ही थीं। एक सुहानी शाम जब पशुओं ने अपना काम खत्म किया था और लौट कर फार्म की इमारतों की तरफ आ रहे थे, तो अहाते की तरफ से घोड़े की जबरदस्त हिनहिनाहट सुनाई दी। भौंचक्के से पशु रास्तों पर ही खड़े रह गए। यह क्लोवर की हिनहिनाहट थी। वह दोबारा हिनहिनाई। सारे पशु सरपट दौड़े और अहाते में जा पहुँचे। तब उन्हें पता चला कि क्लोवर ने क्या देख लिया था।
एक सूअर अपनी पिछली दो टाँगों के सहारे चल रहा था।
हाँ, यह स्क्वीलर था। बेहूदा-सा, इस पोजीशन में अपना भारी-भरकम शरीर सँभाल न पाने की वजह से, लेकिन एकदम सही संतुलन में, वह अहाते में चहल-कदमी कर रहा था। एक ही पल बीता था कि फार्म हाउस के दरवाजे से सूअरों की एक लंबी कतार निकली। सब के सब अपनी पिछली टाँगों पर चल रहे थे। कुछ एक दूसरों से बेहतर चल रहे थे, एक-दो हल्का-सा लड़खड़ा भी रहे थे, लग रहा था, जैसे उन्हें लाठी का सहारा मिल जाता तो अच्छा था, लेकिन उनमें से हरेक ने अहाते के चक्कर सफलतापूर्वक लगा लिए। तभी कुत्तों के जोर-जोर से भोंकने की आवाज और काले मुर्गे की तेज कुकडू-कूँ सुनाई दी। अब बाहर आया नेपोलियन, राजसी तरीके से सीधे तने हुए, दाएँ-बाएँ घमंड से देखते हुए और चारों तरफ से अपने कुत्तों से घरे हुए।
वह अपने पैर में एक कोड़ा लिए हुए था।
श्मशान जैसा सन्नाटा छा गया। चकित, डरे हुए और एक-दूसरे से सटते हुए पशुओं ने सूअरों की लंबी कतारों को अहाते में धीमे-धीमे टहलते देखा। ऐसा लगता था, धरती उलट-पलट गई है। तभी वह पल आया जब वे पहले झटके से उबरे और कुत्तों के आतंक के बावजूद कई वर्षों से, कभी शिकायत न करने, कभी चाहे कुछ भी हो जाए, कभी मीन-मेख न निकालने की आदत के बावजूद जब उन्होंने विरोध के कुछ शब्द कहने चाहे होंगे, तभी ठीक उसी वक्त जैसे कोई संकेत दिया गया हो, सभी भेड़ों ने ऊँची आवाज में मिमियाना शुरू कर दिया।
चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें ज्यादा अच्छी
चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें ज्यादा अच्छी
चार टाँगें अच्छी, दो टाँगें ज्यादा अच्छी
यह राग पाँच मिनट तक बिना रुके चलता रहा। जब तक भेड़ों ने गाना बंद किया, विरोध में कुछ भी कहने का मौका जा चुका था। सूअर मार्च करते हुए फार्म हाउस में वापस जा चुके थे।
बैंजामिन को लगा, उसके कंधे से किसी ने अपनी नाक छुआई है। उसने आस-पास देखा। क्लोवर थी। उसकी बूढ़ी आँखें पहले से ज्यादा धुँधली लग रही थीं। एक शब्द भी बोले बिना क्लोवर ने हौले से उसकी अयाल सहलाई और उसे बड़े बखार के आखिर में ले गई, जहाँ सात धर्मादेश लिखे हुए थे। एक-दो मिनटों के लिए वे सफेद रंग के शब्दोंवाली डामर की दीवार को घूरते खड़े रहे।
'मेरी नजर कमजोर हो गई है, उसने अंतत: कहा, वैसे जब मैं जवान थी, तब भी मैं ऊपर लिखे हुए शब्द कहाँ पढ़ पाती थी। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि दीवार कुछ अलग सी दीख रही है? क्या सात धर्मादेश के अलावा कुछ भी लिखा हुआ नहीं था? यह इस प्रकार था :
सभी पशु बराबर हैं
लेकिन कुछ पशु
दूसरे पशुओं से ज्यादा बराबर हैं
उसके बाद तो अगले दिन बाड़े के काम की निगरानी करनेवाले सभी सूअर अपने-अपने पैरों में कोड़े थामे हुए थे तो किसी को भी अजीब नहीं लगा। यह पता लगने पर भी किसी को आश्चर्य नहीं हुआ कि सूअरों ने अपने लिए एक रेडियो खरीद लिया है, कि वे टेलीफोन लगवाने की व्यवस्था कर रहे हैं और उन्होंने 'जॉन बुल', 'टिट-बिट्स' और 'डेली मिरर' मँगवाना शुरू कर दिया है। इससे भी आश्चर्य नहीं हुआ जब नेपोलियन अपने मुँह में पाइप दबाए फार्म हाउस में चहलकदमी करता हुआ दिखाई दिया। तब भी आश्चर्य नहीं हुआ जब सूअरों ने मिस्टर जोंस की अलमारियों से कपड़े निकाल कर पहन लिए। नेपोलियन ने खुद काला कोट, चुस्त जाँघिया और चमड़े की पैंट चुनी जब कि उसकी पसंदीदा सूअरनी झिलमिल रेशम की ड्रेस पहन कर निकलती। यह पोशाक मिसेज जोंस रविवार को पहना करती थी।
एक सप्ताह बाद, दोपहर के समय, बाड़े में कई कुत्तागाड़ियाँ आईं। पड़ोसी किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल को निरीक्षण दौरा करने के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्हें पूरे बाड़े में घुमाया गया। उन्होंने जो कुछ भी देखा उसके लिए खूब तारीफ की। खासकर पवनचक्की को उन्होंने बहुत पसंद किया। पशु लोग शलजम के खेतों में खर-पतवार साफ कर रहे थे। वे पूरी निष्ठा से काम करते रहे। शायद ही किसी ने जमीन से अपना सिर ऊपर उठाया। उन्हें नहीं पता था सूअरों से ज्यादा डरना है या मेहमान मनुष्यों से।
उस रात फार्म हाउस से शाम के वक्त जोर-जोर से ठहाके लगाने की और गाने-बजाने की आवाजें आती रहीं। और अचानक मिले-जुले स्वरों की आवाजों को सुन कर, पशु उत्सुकता से ठगे रह गए। अब चूँकि पशु और मनुष्य पहली बार समानता के स्तर पर मिल रहे हैं, वहाँ भीतर क्या हो रहा होगा। सब एक राय से एकदम दबे पाँव चलते हुए फार्म हाउस बाग में सरकते हुए जा पहुँचे।
गेट पर वे थोड़ी देर के लिए रुके। वे आधे डरे हुए थे - भीतर जाए या नहीं। लेकिन क्लोवर उन्हें भीतर ले चली। पंजों के बल वे घर तक पहुँचे। जो पशु कद-काठी में ऊँचे थे, उन्होंने डाइनिंग रूम की खिड़की में से झाँका। वहाँ पर एक लंबी मेज के चारों तरफ छह किसान और अधिक सम्मान प्राप्त छह सूअर बैठे हुए थे। नेपोलियन स्वयं मेज के सिरे पर सबसे ज्यादा सम्मानवाली सीट पर जमा हुआ था। सूअर अपनी कुर्सियों पर बिलकुल आराम से बैठे हुए थे। वे ताश के खेलों का आनंद ले रहे थे। फिलहाल थोड़ी देर के लिए खेल रुका हुआ था। निश्चय ही जाम टकराने के लिए। एक बड़ा-सा जग सबके बीच घुमाया जा रहा था, और सब अपने-अपने मग फिर से भर रहे थे। किसी ने भी ध्यान नहीं दिया कि आश्चर्यचकित पशुओं के चेहरे खिड़की से घूर रहे हैं।
फॉक्सवुड का मिस्टर विलकिंगट, हाथ में अपना मग लिए उठ खड़ा हुआ। उसने कहा कि कुछेक पलों में वहाँ मौजूद लोगों को जाम टकराने के लिए, टोस्ट करने के लिए वह अनुरोध करेगा। लेकिन ऐसा करने से पहले वह कुछ शब्द कहने की जरूरत महसूस कर रहा है।
उसने बताया कि, वह विश्वास करता है, जो यहाँ उपस्थित हैं, उन सबको यह महसूस करते हुए अपार संतोष हो रहा है कि आज आपसी अविश्वास और गलतफहमी का एक लंबा युग समाप्त हो रहा है। एक समय था, जब न केवल वह खुद, या इस सभा में मौजूद कई और महानुभाव इस प्रकार की भावनाएँ रखते थे, बल्कि उस समय तो पशु बाड़े के सम्माननीय स्वामियों को, वह यह तो नहीं कहेगा विद्वेष से, परंतु शायद उनके मानव पड़ोसियों द्वारा कुछ हद तक संदेह की नजर से देखा जाता था। दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ घटती रहीं। गलतफहमियाँ फैलती रहीं। यह महसूस किया जाता रहा कि सूअरों के स्वामित्व में और उनके द्वारा संचालित बाड़ा में कुछ अजीब-सी बात है और इसका पास-पड़ोस पर बेचैन देने वाला प्रभाव पड़ेगा। बिना जाँच-पड़ताल किए कई किसानों ने यह मान लिया कि इस तरह के बाड़े पर लंपटता और अव्यवस्था का आलम होगा। उन्हें इस बात की चिंता थी कि इसका उनके खुद के पशुओं और यहाँ तक कि मनुष्य कर्मचारियों पर भी क्या असर पड़ेगा। लेकिन अब ये सारे शक दूर हो चुके हैं। आज वह और उसके साथी पशु बाड़े में आए हैं। उन्होंने अपनी खुद की आँखों से इसके चप्पे-चप्पे का मुआयना किया है। और क्या पाया है? न केवल अत्यधिक नवीनतम तरीके देखे बल्कि ऐसा अनुशासन और व्यवस्था भी पाई, जो कहीं भी सभी किसानों के लिए एक मिसाल हो सकती है। उसे विश्वास है कि उसका यह कहना सही होगा कि पशु बाड़े में निचले तबके के पशु देश में किसी भी पशु की तुलना में ज्यादा काम करते हैं और कम खुराक पाते हैं। दरअसल, उसने और उसके साथी मेहमानों ने यहाँ कई ऐसी चीजें देखी हैं जो वे खुद के बाड़ों में तत्काल अपनाना चाहेंगे।
उसने कहा कि अपनी बात एक बार फिर इस बात पर जोर देते हुए समाप्त करना चाहेगा कि पशुबाड़े और उसके पड़ोसियों के बीच जो मैत्रीभाव रहा, वह बने रहना चाहिए। सूअरों और मनुष्यों के बीच किसी भी तरह का हितों का टकराव न कभी रहा, और न ही रहना चाहिए। उनके संघर्ष और उनकी तकलीफें एक जैसी हैं। क्या श्रमिक समस्या सब जगह एक जैसी नहीं है? वहाँ यह साफ-साफ लगा कि मिस्टर विलकिंगटन पशु समुदाय पर सावधानीपूर्वक तैयार किया गया कोई जुमला उछालना चाहता था, लेकिन एक पल के लिए वह खुशी से इतना बेहाल हो गया कि कह ही नहीं पाया। वह हँसते-हँसते दोहरा हो गया, उसकी चिबुक पर सलवटें पड़ गई। काफी देर तक हँसते रहने के बाद किसी तरह उसने कहना शुरू किया, 'अगर आपके पास निचले तबके के पशु हैं तो हमारे पास अपने निचले वर्ग हैं। इस कटाक्ष से मेज पर ठहाके लगने लगे, और मिस्टर विलकिंगटन ने एक बार फिर सूअरों को कम राशन और काम के लंबे घंटों, और पशु बाड़े में एक सिरे से गायब लाड़-प्यार पर बधाई दी।
और अब उसने अंत में कहा, 'वह सबसे अनुरोध करता है कि सब अपने पैरों पर खड़े हों और देखें कि उनके गिलास भरे हुए हैं। सज्जनो, मिस्टर विलकिंगटन ने अपनी बात खत्म की, सज्जनो. मैं आपको टोस्ट देता हूँ, पशुबाड़े की समृद्धि के लिए।'
सबने उत्साह से तालियाँ बजाईं और पैरों से जमीन थपथपाईं। नेपोलियन इतना अभिभूत हुआ कि वह अपनी जगह से उठा, और मेज के पास आ कर अपना मग खाली करने से पहले मिस्टर विलकिंगटन के मग से टकराया। जब तालियों की गड़गड़ाहट कम हो गई, तो नेपोलियन, जो अब तक अपने पैरों पर खड़ा था, बताया कि उसे भी दो शब्द कहने हैं।
नेपोलियन के पिछले भाषणों की तरह यह भी संक्षिप्त और प्रासंगिक था। उसने भी कहा कि उसे प्रसन्नता है कि गलतफहमियों का युग अब समाप्त हो गया है। लंबे अरसे तक अफवाहें फैलाई जाती रहीं। उसके पास यह मानने के कारण हैं, वे अफवाहें किसी शत्रु द्वारा फैलाई गईं, खुद उसके और उसके साथियों का दृष्टिकोण कुछ विनाशकारी और यहाँ तक कि क्रांतिकारी हो रहा है। उन पर आरोप लगाया गया कि वे पड़ोसियों के बाड़ों पर पशुओं के बीच बगावत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ भी सच्चाई से परे नहीं हो सकता। उनकी इकलौती इच्छा है कि वे शांति से रहें और अपने पड़ोसियों के साथ सामान्य कारोबारी रवैया बनाए रखें। उसने आगे कहा कि यह बाड़ा, जिसके नियंत्रण के लिए उसे सम्मान मिला है, एक सहकारी उद्यम है। इसके स्वामित्व के कागजात जो उसके खुद के कब्जे में हैं, सूअरों की संयुक्त संपत्ति हैं।
उसने कहा कि वह नहीं मानता कि पुराने संदेहों में से अब कोई बाकी है। अलबत्ता बाड़े के रूटीन में हाल ही में कुछ एक परिवर्तन किए गए हैं। इनसे आपसी विश्वास को और बढ़ाने में मदद मिलनी चाहिए। अब तक बाड़े में एक मूर्खतापूर्ण परंपरा चली आ रही थी कि पशु एक-दूसरे को 'कॉमरेड' कह कर संबोधित करते थे। इसे समाप्त किया जाना है। एक और अजीब-सी परंपरा चली आ रही थी, जिसके बारे में, पता नहीं वह शुरू कैसे हुई, कि हर रविवार की सुबह बगीचे में एक मस्तूल पर कीलों से ठुँकी एक सूअर की खोपड़ी के आगे से मार्च करते हुए सब गुजरते थे, इसे भी खत्म किया जा रहा है। खोपड़ी को पहले ही जमीन में गाड़ दिया गया है। उसके मेहमानों ने एक चबूतरे पर लहराता हरा झंडा भी देखा होगा। यदि देखा हो तो उन्होंने शायद यह भी नोट किया होगा कि पहले इस पर जो सफेद सुम और सींग पेंट किए हुए थे, उन्हें मिटा दिया गया है। अब यह सिर्फ सादा हरा झंडा होगा।
उसने कहा कि मिस्टर विलकिंगटन के शानदार और पड़ोसी भाव से दिए गए भाषण के बारे में एक ही एतराज है। मिस्टर विलकिंगटन ने लगातार 'पशुबाड़े' या 'एनिमल फार्म' का जिक्र किया है। वह इस बात को नहीं जानता था, क्योंकि वह नेपोलियन, अब पहली बार घोषणा कर रहा है कि नाम पशुबाड़ा - 'एनिमल फार्म' समाप्त कर दिया गया है। अब बाड़े को 'मैनर फार्म' के नाम से ही माना जाएगा। उसे विश्वास है यही इसका सही और मूल नाम है।
'सज्जनो,' नेपोलियन ने अपनी बात खत्म की, 'मैं आपको पहले की तरह टोस्ट दूँगा, लेकिन अलग तरीके से। अपने गिलास लबालब भर लीजिए। सज्जनो, यह रहा मेरा टोस्ट : मैनर फार्म की समृद्धि के लिए।'
पहले की तरह दिल खोल कर तालियाँ बजाई गईं और मग आखिरी बूँद तक खाली कर दिए गए। लेकिन जब वहाँ से पशु इस दृश्य को देख रहे थे तो उन्हें लगा, कोई आश्चर्यजनक घटना घट रही है। सूअरों के चेहरों को कुछ हो रहा था। क्लोवर की धुँधली नजरें एक चेहरे से दूसरे पर टिकती रहीं। किसी के चेहरे पर पाँच ठुड्डियाँ थीं तो किसी के चेहरे पर चार और किसी के तीन। लेकिन यह क्या था जो पिघलता और बदलता लग रहा था। तभी जब वाहवाही का शोर थम गया, तो सबने अपने-अपने पत्ते उठाए और जो खेल रुक गया था, उसे फिर शुरू कर दिया। पशु चुपचाप सरक कर चले गए।
लेकिन वे अभी बीस गज दूर भी नहीं पहुँचे थे कि अचानक रुक गए। फार्म हाउस से चीखने-चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं। वे वापस दौड़े और फिर से खिड़की से झाँक कर देखने लगे। हाँ, अंदर भीषण लड़ाई चल रही थी। शोर-शराबा, मेज पर थपथपाहट, तेज शंकालु निगाहें, हिंसक इनकार चल रहे थे। इस सारी मुश्किल की जड़ शायद यह थी कि नेपोलियन और मिस्टर विलकिंगटन, दोनों ने एक ही साथ हुकम का इक्का चला दिया था।
बारह आवाजें गुस्से में चिल्ला रही थीं और सारी आवाजें एक-सी थीं। कोई सवाल नहीं कि सूअरों के चेहरों को अब क्या हो गया था। बाहर खड़े प्राणी कभी सूअर को देखते, कभी आदमी को, फिर आदमी से सूअर को, लेकिन अब यह कहना असंभव हो चुका था कि कौन- सा चेहरा किसका है...